बिहार में यूरोपीय कंपनियों का आगमन(Bihar me European Company ka Aagman)
Bihar me European Company ka Aagman | Bihar mein europiy companiyon ka aagman
बिहार में पुर्तगाली व्यापारियों का आगमन:-
- सर्वप्रथम बिहार में पुर्तगाली व्यापारी आए, जो बंगाल के हुगली में स्थापित व्यापारिक केंद्र से नाव के माध्यम से पटना आया जाया करते थे।
- पुर्तगालियों द्वारा निर्यातित वस्तुओं में मुख्यतः चीनी मिट्टी के बर्तन तथा विभिन्न प्रकार के मसाले थे, जबकि आयातित वस्तुओं में मुख्य रूप से सूती वस्त्र एवं अन्य प्रकार के वस्त्र होते थे।
बिहार में डच व्यापारियों का आगमन:-
- डचों ने सर्वप्रथम 1632 ई. में वर्तमान पटना कॉलेज के उत्तरी भाग में स्थित इमारत में प्रथम डच फैक्ट्री की स्थापना की थी।
- डचों का अधिकांश रुझान शोरे के व्यापार की तरफ था।
- इसके अलावा बिहार के चीनी, अफीम एवं सूती वस्त्र के व्यापार में भी इनकी काफी अभिरुचि रहे हैं।
बिहार में फ्रांसीसी व्यापारियों का आगमन: –
- बिहार में फ्रांसीसी कंपनी का अस्तित्व पटना में 1734 ई. में माल गोदाम की स्थापना से मानी जाती हैं।
- फ्रांसीसीयों का मुख्य उद्देश्य बिहार से शोरा प्राप्त करके अपने व्यापार को उन्नत स्वरूप में स्थापित करना था।
- फ्रांसीसी कंपनी के प्रमुख एम. जिन्याला बंगाल छोड़कर 2 मई, 1757 ई. को बिहार के भागलपुर तथा 3 जून, 1757 ई. को पटना पहुंचा।
बिहार में डेनिश व्यापारियों का आगमन: –
- सर्वप्रथम बिहार के पटना में डेनिश फैक्ट्री की स्थापना 1774 – 75 ई. में हुई।
- यह मुख्यत: शोरे का व्यापार करते थे। बाद में ब्रिटिश कंपनी से मतभेद होने के पश्चात इनके व्यापारिक फैक्ट्री एवं स्थल जब्त हो गए।
बिहार में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन: –
Bihar me European Company ka Aagman |
- बिहार में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन पहली बार पटना में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रमुख रूप में 1664 ई. में जॉब चारनॉक को नियुक्त किया गया, जो 1680- 81 तक इस पद पर रहा।
- 1691 ई. में पटना के गुलजारबाग में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी का स्थायी माल गोदाम स्थापित हुआ।
- प्लासी की लड़ाई (23 जून, 1757 ई.) एवं बक्सर के युद्ध (22 अक्टूबर, 1764 ई.) में अंग्रेजों के भी विजित होने के पश्चात बिहार पूर्णरूप से अंग्रेजी शासन के अधीन हो गया, जिसकी पुष्टि इलाहाबाद की दूसरी संधि (12 अगस्त, 1765 ई.) से हुई।
- इस संधि के तहत अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी को सम्मिलित रूप से बिहार, बंगाल तथा उड़ीसा की दीवानी प्राप्त हो गई।
- इस संधि में मुख्य रूप से पराजित पक्ष का नेतृत्व मुगल बादशाह शाहआलम द्वितीय ने किया, जबकि ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से इसका नेतृत्व ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रधान रॉबर्ट क्लाइव ने किया।
- बक्सर के युद्ध के पश्चात अंग्रेजों का भारत में राजनैतिक शक्ति के रूप में उभर हुआ तथा 1765 ई. में बिहार तथा बंगाल क्षेत्र को द्वैध प्रशासन के अंतर्गत लाया गया।
- 1783 ई. में लागू स्थायी बंदोबस्त प्रणाली ने बिहार को भी सम्मिलित किया गया।
अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध में बिहार में विभिन्न विद्रोह: –
- एक तरफ जहां आम जनों के प्रति मुगलों एवं मराठो तथा स्थानीय जमींदारों की नीतियां शोषणपरक एवं दमनात्मक रूप से लिए हुए थीं।
- तो दूसरी तरफ अंग्रेजी कंपनी स्व- लाभ को ध्यान में रखकर जनजातियों, किसानों एवं श्रमिकों के प्रति कठोरता पूर्वक नियम- कानून लागू करने पर डटी रही।
- अतः इन सभी वर्गों ने अपने- अपने अधिकार की प्राप्ति हेतु समय-समय पर विभिन्न प्रकार के विद्रोह किया।
Bihar me European Company ka Aagman
महत्वपूर्ण तथ्य:-
- बंगाल की खाड़ी में समुद्री डकैती हेतु हुगली का उपयोग पुर्तगाली करते थे।
- 1596 ई. में भारत आने वाला प्रथम डच नागरिक कारनेलिस हाउठमैन था।
- 1761 ई. में अंग्रेजों ने पांडिचेरी को फ्रांसीसीयों से छीन लिया।
- 1753 ई. में हुई पेरिस संधि के द्वारा अंग्रेजों ने चंद्रनगर को छोड़कर शेष अन्य प्रदेशों को लौटा दिया, जो 1749 ई. तक फ्रांसीसी कब्जे में रहे। ये प्रदेश भारत की आजादी तक फ्रांसीसीयों के कब्जे में रहे।
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Bihar mein europiy companiyon ka aagman
- 1698 ई. में औरंगजेब के दरबार में ब्रिटिश कंपनी का दूत विलियम नॉरिस उपस्थित हुआ था।
- भारत में गोथिक स्थापत्य कला की स्थापना का श्रेय पुर्तगालियों को जाता है।
- अल्बूकर्क सती प्रथा का विरोध करने वाला प्रथम यूरोपियन व्यक्ति था।
- भारत में जहांगीर से मिलने ‘टॉमस रो’ जहांगीर के पीछे अजमेर से मांडू आया था।
- ईस्ट इंडिया कंपनी के अंग्रेज गवर्नर सर जॉन चाइल्ड को औरंगजेब द्वारा भारत से निष्कासित किया गया था।
- 1805 ई. में अंग्रेजों ने डचों को चिनसुरा एवं मलक्का के बदले सुमात्रा द्वीप देकर भारत पर उनका प्रभाव लगभग समाप्त कर दिया।
- कैप्टन हॉकिंस को मुगल बादशाह जहांगीर ने 400 का मनसब प्रदान किया था तथा ‘इंग्लिश खान’ की उपाधि से सम्मानित किया।
- पुर्तगालियों को स्वैली(Swally) के युद्ध में और अंग्रेजों ने थॉमस बैस्ट के नेतृत्व में हराया (1612 ई.)।
- पुर्तगालियों के विरुद्ध शाहजहां ने 1632 ई. में हुबली नगर का घेरा डाला।
- 1632 ई. के अंग्रेजों को प्राप्त फरमान को सुनहरा फरमान कहते हैं।
- भारत में यूरोपीय शक्तियों द्वारा अपना पहला किला गोवा में निर्मित किया गया।
- पेड्रो अल्वारेज कैब्राल भारत आने वाले द्वितीय पुर्तगाली (वाणिज्यिक) अभियान के नेता थे।
- सूती वस्त्र मुगल भारत में अंग्रेजी व्यापार की सर्वाधिक महत्वपूर्ण वस्तु थी।
- डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1632 ई. में अपनी फैक्ट्री पटना में स्थापित की थी।
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