Qutub minar (क़ुतुबमीनार)

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क़ुतुबमीनार

  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की स्मृति में कुतुबमीनार का निर्माण प्रारंभ करवाया।

दिल्ली का पहला मुसलमान तुर्क शासक  कुतुबुद्दीन ऐबक को माना जाता है। तथा भारत में तुर्क राज्य का संस्थापक भी वहीं था।

  • इल्तुतमिश ने कुतुब मीनार के निर्माण का कार्य पूरा करवाया।
  • कुतुबमीनार की ऊंचाई 73 मीटर  ऊंचा निर्माण करवाया गया।
  • इस इमारत की पांच मंजिलें हैं प्रत्येक मंजिलें में एक बालकनी है और इसका आधार 1.5 मी. व्यास कहां है।
  • जो धीरे-धीरे कम होते हुए शीर्ष पर 2.5 मीटर का व्यास रह जाता है और पहली तीन मंजिल लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है और चौथी तथा पांच मंजिलें मार्बल और बलुआ पत्थर से निर्मित है।
  •  मीनार के निकट भारत की पहली क्वातुल – इस्लाम मस्जिद है। यह 27 हिंदू मंदिरों को तोड़कर इसके अवशेषों  से निर्मित की गई हैं। इस मस्जिद के  प्रांगण में एक 7 मीटर ऊंचा लौह स्तंभ है। 
  • कुतुबमीनार का निर्माण विवादपूर्ण है कुछ मानते हैं कि इसे विजय की मीनार के रूप में भारत में मुस्लिम शासक की शुरुआत के रूप में देखा जाता है।
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  • और कुछ मानते हैं कि इसका निर्माण मुअज्जिन के लिए अजान देने के लिए किया गया है।
  • क़ुतुबमीनार भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की बेहतरीन स्मारक में से एक है।
  • दिल्ली के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1200 ई. में इसके निर्माण कार्य शुरू कराया।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक से तुगलक काल तक की वास्तुकला शैली का विकास कुतुबमीनार में स्पष्ट झलकता है। प्रयोग की गई निर्माण सामग्री और अनुरक्षण सामग्री में भी भेद है।
  • 238 फीट कुतुबमीनार आधार 17 फीट और इसका शीर्ष 9 फीट का है।
  • इस मीनार को शिलालेख से सजाया गया है और इसकी चार बालकनी है। जिसमें अलंकृत कोष्ठाक बनाए गए हैं।
  • कुतुब परिसर के खंडहरों में भी कुव्वत-ए-इस्लाम (इस्लाम का नूर) मस्जिद विश्व का एक भव्य मस्जिद मानी जाती हैं।
  • कुतुबुद्दीन-ऐबक ने 1193 में इसका निर्माण शुरू कराया और 1997 में मस्जिद पूरी हो गई।
  •  वर्ष 1230 में अल्तमस ने और 1315 में अलाउद्दीन खिलजी ने इस भवन का विस्तार कराया।
  •  इस मस्जिद के आंतरिक और बाहरी प्रांगण स्तंभ श्रेणियों में है आंतरिक सुसज्जित लाडो के आसपास भव्यतम आंतरिक सुसज्जित लाटों के आसपास भव्य स्तम्भ स्थापित है ।
  • इसमें से अधिकतर लाट 27 हिंदू मंदिरों के अवशेषों से बनाए गए हैं।
  •  मस्जिद के निर्माण हेतु इनकी लूटपाट की गई थी  अचारण की बात नहीं है कि यह मस्जिद परंपरिक रूप से हिंदू स्थापत्य-अवशेषों का ही रूप है।
  •  मस्जिद के समीप दिल्ली का पुरातन लौह स्तंभ स्थित है।

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